जानिये, कोरोना मामले पर सुप्रसिद्ध ज्योतिषी पं. लक्ष्मीनारायण पाठक ने कही ये बडी बात


करौली। देश सहित पूरी दुनिया में कोरोनावायरस का प्रकोप जारी है। विज्ञान के साथ ज्योतिष क्षेत्र में भी इस बिषय पर शोध व बयान सामने आ रहे हैं। करौली जिले के हिण्डौन में पाठक पाड़ा निवासी सुप्रसिद्ध ज्योतिषी पं. लक्ष्मीनारायण पाठक ज्योतिष के क्षेत्र में कई वर्षों से राजस्थान सहित अन्य राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और इंसान सहित प्राकृतिक आपदा आदि बिषयों पर अपनी सटीक ज्योतिषीय भविष्यवाणी कर चुके हैं। कोरोना मामले पर बोलते हुए पं. लक्ष्मीनारायण पाठक का कहना है कि वर्तमान में ग्रहों का गोचर देेेखेें तो देव गुरु बृहस्पति स्वयं की धनु राशि में गोचर कर रहे हैं, शनि मकर राशि में गोचर कर रहे हैं। राहु  मिथुन राशि में और केतु धनु राशि में गोचर कर रहे हैं। 


भारत में या विश्व में इस बीमारी का आगमन हुआ तो उस समय काल में देव गुरु बृहस्पति शनि देव और केतु तीनों एक साथ धनु राशि स्थित रहे हैं। 5 नवंबर को ही गुरु का धनुराशि में आगमन हुआ। 24 मार्च 2019 से शनि केतु पहले से ही एक साथ धनु राशि बैठे हुए थे। राहु अपने ही नक्षत्र आर्दा में और केतु अपने ही मूल नक्षत्र में बैठे हुए थे। आर्दा और मूल नक्षत्र में जब राहु केतु एक साथ बैठे हैं तब महाविष योग बनाते हैं। तीनों की युति को 12 दिन ही बीते थे कि 17 नवंबर को चीन के वुहान शहर में पहला कोरोनावायरस का पहला रोगी  मिल गया। राहु केतु के साथ में सूर्य चंद्रमा के आ जाने से ग्रहण योग और गुरु शनि के आ जाने से महा चांडाल योग का निर्माण हो गया । शनि और गुरु दोनों एक साथ केतु के प्रभाव में आ जाने से दोनों से संबंधित दो अलग प्रकार के महा त्रासदी योग विश्व जगत में देखे गए।
शनि देव जो न्यायाधीश है। साथ ही  इस संसार में जीव-जंतुओं का स्वामी है। केतु के साथ आ जाने से ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में भयंकर आगजनी हुई। जिससे कई जीव जंतु नष्ट हो गए और उन्हीं जीव जंतुओं को माध्यम बनाकर के गुरु और केतु के चांडाल योग से कोरोनावायरस जैसी महामारी का जन्म भी हो गया और जैसे ही केतु से शनि 27 जनवरी 2020 को अलग हुए तो देव गुरु बृहस्पति जो धर्म के ग्रह हैं बुद्धि के ग्रह हैं ज्ञान के ग्रह हैं वह केतु के साथ अकेले रह गए । शनि देव से मिलने वाली सहायता भी उनसे दूर हो गई। और यह महामारी विश्व जगत मेंं आग की तरह फैलती चली गई


शनि देव जो पश्चिम दिशा का स्वामी है गुरु जो उत्तर दिशा का स्वामी है। दोनों दिशाओं में इस महामारी की भयंकर त्रासदी देखने को मिलेगी। दयावान धार्मिक ईश्वर वादी देशों में इस महामारी का सिर्फ छुटपुट असर ही देखने को मिलेगा। वर्तमान 23 मार्च 2020 को मंगल के मकर राशि में आ जाने से विश्व जगत में इसका प्रभाव अभी कुछ समय के लिए कम पड़ेगा। मंगल जो सेना और पुलिस का स्वामी है। पूरा विश्व पुलिस और सेना की सहायता से ही उभरेगा। 29 मार्च 2020 को देव गुरु बृहस्पति केतु के साथ को छोड़ देंगे और संपूर्ण विश्व से इस महामारी पर एक बड़ी रोकथाम लगाएंगे। 29 मार्च 2020 से 30 जून 2020 तक देव गुरु बृहस्पति मकर राशि में रहेंगे। तब तक भारत नेपाल मोरिशश तीन देश पूरी तरह से इस महामारी से मुक्त हो जाएंगे। 30 जून को देव गुरु बृहस्पति वापस धनु राशि में आएंगे। और इस बीमारी को एक बार फिर से धीरे-धीरे आगे बढ़ाएंगे। 4 अक्टूबर 2021 तक विश्व जगत में इस बीमारी का प्रभाव रहेगा। 2019 के अंत से आरंभ हुई यह बीमारी 2021 के अंत में जादू की तरह गायब हो जाएगी। देव गुरु बृहस्पति जो ज्ञान का प्रतीक है। मानव को सिर्फ ज्ञान बुद्धि विवेक समझदारी और सही समय पर सही निर्णय की नीति से ही विजय प्राप्त होगी।